दियो, दे दियोजी मोहे दर्श दियो ।
(तर्ज : जिया ले गयो जी मोरा साँवरिया.. . )
दियो, दे दियोजी मोहे दर्श दियो ।
सत्गुरु चरण ही पार कियो ! ।।टेक।।
ध्यान कियो, ध्यान कियो ।
हिरदय बीच गुरु ठान लियो ।।
मनसे ही पूजन पाठ कियो ।
प्रीत की ज्योति, नीत की भक्ति ।।
तन-मन-धन परसाद कियो ।।1।।
ना कछु रहो, ना कछु रहो ।
बिन गुरु-गम अब सबही गयो।।
तार चढो, मन मस्त भयो ।
सो$हं तारी, अनहद बारी ।।
अमृत-जल सुख-पान कियो ।।2।।
आओ सभी, आओ सभी ।
गुर-चरननकों ध्याओ सभी ।।
भूल न जाओ ये मंत्र कभी ।
बेडा ये पार है, भजते उध्दार है ।।
तुकड्यादास पुकार कियो ! ।।3।।