दिया , दे दियाजी, मैंने प्राण दिया ।
(तर्ज: जिया ले गयोजी मोरा, साँवरिया... )
दिया, दे दियाजी, मैंने प्राण दिया ।
अब नहीं रखा कोई पास लिया ।।टेक।।
मैं नहीं हूँ; मैआ नहीं हूँ ।
सब में तो रघुबर छाय गया।
आँखमें वो मेरे रोशन दिया।।
सुन्दर निहारता, चरणों में सार था।
कुछ था, जो दिल से निकाल किया ।।1।।
शान्त भया, शान्त भया ।
काम -क्रोध में का सारा जोश गया।
पानी मिला पानी में तो पानी रह गया।
जीव-शिव एक है, देवभक्त एक है ।
तुकड्याने ऐसो मन ठान लिया ।।2।।