दिमाग मेरा प्रभो ! तुम्हारे, दर्शन का सामना ।
(तर्ज: कुरणावरती वडाखालती...)
दिमाग मेरा प्रभो ! तुम्हारे, दर्शन का सामना ।
किये बिना नही शान्त रहे वह, यह मेरी भावना।।टेक।।
चाहे जाऊँ मन्दर पूजने, चाहे जल-तीर्थको ।
भोला भाला साज है मेरा, मैं हूँ दिवाना बना ।। २ ।।
जब देखूं दीदार तुम्हारा,फुले हिया भर गया ।
मजा सभी पागया जियासे, अंग-रंग सब बिना ।।२ |
बिना तुम्हारे सूना हे जग, आया हूँ व्दारपे ।
तुकड्यादास रँगाले खुद मे,शान्ति न तेरे बिना ।।३ ।।