हमसे बोलो न बोलो तो क्या ।
हमसे बोलो न बोलो तो क्या ! ।
जबसे पहिलेही दर्शन दिलाना न था ।।टेक।।
तुमने बोला ओ, हमको लिया पासमें।
ये कहा था कि तुमको किया दास मैं।।
अबके बिचमें ही छोडो तो क्या !
जबके पहिले ही मोहब्बत लगाना न था ।।1।।
हम तो चरणों में आये भले भावसे।
ये समझकर के, की अबतों लगे नावसे।।
प्रीत की डोरी तोड़ा तो क्या !
जग-उधारक ही तुमने कहाना न था ।।2।।
बेर भिक्लिन के जूठे भी छूटे नहीं।
प्यार कुब्जा का भी तो न टूटे कहीं।।
फेर आधेसे मोडा तो क्या !
जब चरण -रज ही अपना पिलाना न था।।3।।
देखो बाहरसे छोड़े भले जावोगे ।
क्या ये दिलसे भी तो तोडे तुम जावोगे ? ?
बात भी मुख से ताकी तो क्या !
ये सूरत ही हमको दिखाना न था ।।4।।
ऐसा क्या है हवा, हमसे नफरत भयी ।
क्या किसीने हमारी ये चुगली कही ।।
दास तुकड्यासे देरी किया !
फूटे दिलको ही पहिले बनाना न था ।।5।।