आजा मेरे शांतिके चरखेके बतैया !
(तर्ज: आजा मेरे बरबाद...)
आजा ! आजा !
आजा मेरे शांतिके चरखेके बतैया !
तेरेबिना सूनी पड़ी भारतकी मढ़ैया ।।टेक।।
तेरे चले जानेसे सारा भारत दिवाना !
तू तो खुशीसे सो गया,हमरा न ठिकाना ।
चारों तरफ घेरी पड़ी, मँझधारमें नैया ।।१।।
कइ बार तूनेहि हमें झंझटसे बचाया ।
बिगड़ा कहीं मारग तो फिर-फिरसे दिखाया।
अब किसको पुकारें? बिना तेरे ना रखैया ! ।।२।।
भारतकी तुही शान था, था मान जगतका ।
सबको समेटा था तूने, चाहे कोई मतका ।
आदर था महात्मोंका, जमुनाके बसैया ! ।।३।।
तेरेही नामपर हम भारतमें जियेंगे ।
तेरी बतायी बातोंको घरघरमें कहेंगे ।
तुकड्या कहे, गोपाल तुझे देते है बलैया ।।४।।