अमर तुम्हारा नाम, बापू !
(तर्ज: रामा ! तू माझा यजमान. .)
अमर तुम्हारा नाम,
बापू ! अमर तुम्हारा नाम ।।टेक।।
दूर हटाने देश -गुलामी, किया तुने शुभ काम ।।१।।
हरने स्पृश्यास्पृश्य अंधेरा,किया प्रकाशित धाम ।।२।।
नशाबन्दी करनेको अपना,नैतिक दिया लगाम ।।३।।
बुनियादी शिक्षा देनेको, खोजत तत्त्व तमाम ।।४।।
भंगीमुक्ती, कुष्टनिवारण, प्रिय थे ये सब कामा ।।५।।
सबके हित तुम बना रहे थे, ग्रामोद्योगी ग्राम ।।६।।
जीवन था समुदाय-प्रार्थना, जीवनधन था राम ।।७।।
ईश्वर-अल्ला कहकर तोडा, धर्माका सग्राम ।।८।।
तुकड्यादास कहे नहि माना, वेहि हुए बदनाम ।।९।।