दिल मेरा खैचिये साँवरे

(तर्ज ..मजसवे बोल रे माधवा....)

दिल    मेरा   खैचिये   साँवरे ।
मैं नही इस लायक, प्रभु मोरे ! ।।टेक।।
चाहता हूँ, मन स्थीर ना होवे ।
आपतही बिगडे, आपही रोवे ।।
इसही लिये कहता   हूँ   सबेरे  ।।1।।
अबके दिन नहीं जावे खाली ।
तुम्हरे ध्यान - बिना वनमाली ।।
सुमरण हो तेरा   नन्द-दुलारे  !  ।।2।।
तुमही बसो मनमें घन:श्यामा ।
मन पावे जिससे कि   विरामा ।।
यह जिवन सुखी  होय   हमारे ।।3।।
हाथ करें यहि काम जगत्‌ के ।
अंतरमन तुम्हरे हो   मत के ।।
जनम -जनम रहूँ सेवक   द्वारे ।।4।।
अब नहिं जाने देवो कुसंगा ।
तुकड्यादास रहे  सत्सगा।।
तुम बिन दास को कौन उधारे ?।।5।।