तुझे जरा खबर नहीं आयी

(तर्ज : तेरे दया-धरम नहीं मनमें.. )
तुझे जरा खबर नहीं आयी ।
तेरे यहाँ दुनिया नहीं भाई ! ।। टेक ।।
तू है अपने अच्छे-बुरे कर्मों का फल पाता।
अच्छे कर्म से स्वर्ग मिले, जहाँ देव-लोक कहलाता।।1।।
पाप-कर्म, जो बडी नीचता, धर्म-द्रोह जब होता।
खून खींचना किसी गरिबनका,लगे नरक से नाता।।2।।
प्रभुका भजन करे दिल-मनसे, जो सेवा में रहता।
सब पर प्रेम करे-करवावे, परम  धामकों   जाता ।।3।।
तो सत्संगी गुरु-कृपा का, ज्ञान - पात्र हो   जावे।
तुकड्यादास कहे वह फिरके, अमर मुक्ति को पावे।।4।।