जब खेती नहीं कसता है

(तर्ज : -दया -धरम नही मनमें.. )
जब   खेती   नहीं   कसता   है-
तब तो किसान क्यों कहता हैं ? ।।टेक ।।
तेरे घरमें जमीन होकर, तू गुलाम साहबका।
खेतीमें नहिं अनाज बोता, क्यों करता है मनका ?।।1।।
आज है जिसकी बडी जरूरी, भारत-देश पुकारे ।
तू तो चिवड़ा-सीजर  बेचे, खेती  कौन  सुधारे ? ।।2।।
परदेशोंमे  लिखे - पढे भी, ख़ुद खेतीमें राबे।
तू तो जराभि लिखना जाना,कहता आवबे-जाबबे !।।3।।
सबही मिलकर सामूहिक में, खेति बनाओ अपनी।
देशका बोझा तब उतरेगा, फिरके माला जपनी ! ।।4।।
घरको खेती नहिं करनी है, खूली कर दे सबको ।
तुकड्यादास कहे, कोई लेगा, क्यों जखडा है उसको ? ।।5।।