स्वराज्य आया , स्वराज्य आया , क्यो बतलाते यार ?

           (तर्ज: बार-बार तोहे क्या समझाये... )
                               -ग्रामस्थ- 
स्वराज्य आया, स्वराज्य आया, क्यों बतलाते यार ?
सभी जगा महँगाईने, गिराया है देखो   अंधार ।।
जिधर-उधर सब लोक तंग हैं, घुमते है बेकार ।
चोरि - जारि - नेताबाजी, लुटा है देश हमार !।।टेक ।।
                               -नेता-
सुनो हमारे ग्राम-भाईयों ! क्यों करते बदनाम।
अर्थ ही स्वराज का हैं, करना सभीको ये काम ।।
यहाँ न कोई परदेशी है, जो करता तूफ़ान ।
राजा-प्रजा तुम हों सारे, अपना ही है संसार! ।।1।।
                            -ग्रामस्थ -
अपना-अपना करते तुमने लूट लिये है लोग ।
घूस लेने-देनेवाले तुम्हींने   बढाये  हो   खूब ।।
बड़ों -बडोंने की है सिफारिश, ठप्प किया हैं काम ! ।
कोई नहीं सुनता किसकी, कैसा हो बडा ये पार ।।2।।
                             -नेता-
हम कहतें है, तुम्ही हो सोये, क्यों न करो आवाज।
मगदूर क्या है किसकी, ग्राम तुम्हारे पास ।।
झूठी राह चले गर कोई, उसका करो निषेध ।
एक करो ग्राम सारा, तभी होगा प्यारे सुधार ! ।।3।।
                         -ग्रामस्थ -
पंचायतका राज हुआ, अब लगी हमारी आस।
भले-भले लोग सारे, हमें ना करेंगे उदास।।
हमी कमायें, हमही खाये, हमही करें बचूत ।
जातपाँत तोड़े सारी, भारतका   हम  परिवार  ।।4।।
                         -नेता-
खूब सुनायी तुमने भाई ! ऐसि करो तरतूद ।
काम-धाम उद्योगोंमे, लगे रहो करके सबूत ।।
तभी फलेगा स्वराज्य सबको, फिर होगा आनन्द।
कहे दास तुकड्या फिरके, बनेगा सभीका सुधार ।
स्वराज्य         आया           स्वराज्य        आया ।।5।।