जिया ना सताओ मेरा

        (तर्ज: दुनियाँ न भाये मोहे. . . )
जिया ना सताओ मेरा, जिया ना सताओ रे !
हरि के मिलन की मोहे आस है, मोहे आस है ।।टेक।।
इसीलिये   छोडा   मैने   घरदार   सारा ।
ध्यान धरूँ दिल में नाचूँ  हरिके   द्वारा ।।
दुनियाँ से मनको मेरे, करूँ मैं उदास है।
हरि  के मिलन की  मोहे   आस   है 0 ।।1।।
दिलमें न भाये कोई, खान-पान प्यारा ।
नीन्द नहीं लागे, आँखे देखलू पियारा।।
काहेको बुलाती दुनियाँ, जिसमें झूठी प्यास है ।
हरि के  मिलन   की   मोहे   आस  है 0।।2।।
सभी भोग भोगूं जिसमें रहूंगा अधूरा ।
इधर का न पूरा भाई, उधर का न पूरा।।
अमोलिक जांये घडियाँ, जिसमें मेरा नाश है।
हरि के मिलन   की  मोहे   आस  है 0।।3।।
इसलिये कहता हूँ मैं, हमारा प्रणाम लो। 
कहें दास तुकड्या,जिससे दोनोंका भी काम हो ।।
मुझे भी दरस हो, मिटे सबकी प्यास है।
हरि के  मिलनकी   मोहे   आस   है 0।।4।।