रोक ना लगाओ कोई

          (तर्ज: दुनियाँ न भाये मोहे.. .)
रोक ना लगाओ कोई, रोक ना लगाओ रे !
गुरुके चरणमें, मेरा ध्यान हैं, मेरा ध्यान है ।।टेक।।
फँसावो ना कोई, मुझको साधू कहाके।
मेवा खिलाके   मोहे  वंदना    दिलाके  ।।
अधूरी ही  सेवा होगी, बनूँगा हैरान है ।
गरुके चरणमें, मेरा ध्यान है 0।।1।।
मोह जिन्हें कामिनीका,लोभ जिन्हें कांचनों का ।
अभिमान आता उनको, झूठी ही कहानी का ।।
विघ्न है ये भक्तिमें का, धोखेका निशान है।
गुरुके चरणमें मेरा ध्यान है 0।।2।।
लगा है अंकुर ताजा, अभी तो बैराग पाया ।
कष्ट ही सह जाता हूँ,नसा नहीं पूरा आया ।।
इसीलिये कहता हूँ मैं, समय करो दान है।
गुरुके चरणमें, मेरा ध्यान है 0।।3।।
गुरुही है ज्ञानदाता, गुरुही है भाग्य देता।
तुकड्या कहे, वो मेरा गुरुदेव है सर्वकर्ता ।।
उसीसे ये नैय्या मेरी, पाये निजधाम है ।
गुरुके चरणमें, मेरा ध्यान है 0।।4।।