रामेश्वर के दर्शन करने

           (तर्ज : पावन है तुम्हरा नाम... )
रामेश्वर के दर्शन करने, भाव - भक्ति से न्हाई-
जनता उमड उमड कर आयी ।।टेक।।
चारों और समुंदर छाया, बीचमें रामेश्वरकी माया ।
गगन-भेदि यह मन्दर शिवका, कहते बर्णि न जाई ।
जनता उमड-उमड कर आयी 0।।१।।
जिधर-उधर शिव रामेश्वर है, सकल व्याप्त मूर्ती भरपूर है ।
अनेक तीरथ एकहि स्थलमें, समय न खाली जाई !
जनता उमड - उमड कर आयी0।।२।।
मन्दरमें ही भरत बजारा, हाथि घूमे घरके अंबारा !
शिव पार्वति की सवारी निकली,फूलकी ढेर बिछाई !
जनता उमड -उमड़ कर  आयी 0।।३।।
हर दरवाजे चौक लगाये, पंचारति घर-घर सजवाये !
रामेश्वर  भगवान्‌के  दर्शन, करनेको   उत्साही !
जनता उमड़ -उमड कर आयी 0।।४।।
गंगोत्री से गंगा लाये, रामेश्वरपर जात चढाये ।
हर-हर, हर-हर भाविक बोले, गूंजे नाद सदा ही !
जनता उपड़-उमपड़ कर आयी0 ।।५।।
जगे -जगे ब्राम्हण है ठाडे, साधुसंतके खड़े अखाडे ।
भिक्षु-भिखारी मूँह फाडकर, माँगे तन लपटाई ।।
जनता उमपड़ -उपड कर आयी 0।।६।।
श्री सीतारामजीके संगमें,हम भी चले आगये रंगमे ।
साथ मिले साथी संगाती, प्रेम लगा   मन   माँही ।।
जनता उमड-उमड कर आयी 0।।७।।
तुकड्यादास मस्त दर्शनसे,चिन्तन किया रामका मनसे ।
जग -हितकारण ज्योर्तिलिंग यह, स्थापा है रघुराई !
जनता उमड-उमड कर आयी0।।८।।