जोगन बनके जाऊँगी मैं
(तर्ज : अपने आतम के चिंतन में... )
जोगन बनके जाऊँगी मैं । प्यारा ढूँढ मिलाऊँगी ।
खोज-खोज मन जाऊँगी मैं। प्यारा दूढ मिलाऊँगी ।।टेक।।
मसजिद ढूँढ, ढूँढ मन्दरको । बनमें जाय निहारूँगी ।
सब ऋषियोंको पूँछ-पूँछकर । प्यारा ढूँढ मिलाऊँगी ।। १।।
ग्यान-कमंडल,ध्यानका चिमटा । भाव-कफन तन धारूँगी ।
अगम-निगमका भस्म चढाकर । प्यारा ढूँढ मिलाऊँगी ।।२।।
घटके अंदर जगा बनाकर । विवेक-ज्योत जगाऊँगी ।
हृदय-कमलमें दृढ बरनेको । प्यारा ढूँढ मिलाऊँगी ।।३।।
सत्-संगतमें नित जाय-जायकर । पूरा रेंग सिधारूँगी !
तुकड्यादास आस धर दिलमें । प्यारा ढूँढ मिलाऊँगी ।।४।।