तेरी सुनी नही बात, ओ बापू !

(तर्ज: कैसे करूँ तेरा ध्यान? ...)
तेरी सुनी नही बात, ओ बापू !
         तेरी सुनी नही बात ।।
तबसे ही बिगड़ा भारत, पीछे लगा स्वारथ ।
अपनाही गीत सुनाये ।।टेक।।
आपसभमें बढायी फूट । सजन की मचायी लूट ।
यह चलता दिखे सब झूठ ।।
दुधमें पानी मिलाये,नशा खूब खाये,
इन्हें अब कौन बताये ? ।।१।।
दिल पहलेहि था बन्दर । उसे सत्ता मिली सुन्दर ।
निशाचन नाच रहे दिलभर ।।
कौन है आडा जाये ? खतम हो पाये,
समझत   नाहि   उपाय ।।२।।
परिश्रम की बड़ी है लाज । बडप्पन की बढी है प्यास ।
सारा भारत पडा है उदास ।
देखके तुकड्या बोले, प्रभू ! ये निभाले,
फिर नही  सुधरा  जाये ।।३।।