दिन दहाडे करते चोरी, फिर गांधी भजते

          (तर्ज: शांति कुणाला कशी... )
दिन दहाडे करते चोरी, फिर गांधी भजते ।
जरा नहि क्यों दिल में लजते ? ।।
बापू ने क्या यही बताया ? क्या कहने धजते ?
जरा नहिं क्यों 0 ।।टेक।।
देशभक्त हो कैसे तुम? गांधी को बदनाम किया ।
घूँसखोर लुचपत खाते, क्या गांधीने बोल दिया?
गांधी खत्म तुमने हि किया ।।
अब तो सुधरो, नहि तो बिगडे भारत के रिश्ते ।
जरा नहि क्यो 0 ।।१।।
आज प्रतिग्या लो हमसे, झुठ जरा अब हम न चलें ।
सबकी भलाई करने को, हम भी घर-घर बढें  भले ।
बोलो मजलिस में ही खुले ।।
तुकड्यादास कहे दिन बदले, अब कबतक सजते ?
जरा नहिं  क्यो 0।।२।।