समझ - समझकर बढना प्यारे !
(तर्ज : अमृत समजुनि प्याली विषाचा... )
समझ -समझकर बढना प्यारे ! यह गांधी बोला ।
सम्हालो जोश-भरा चोला ।।टेक।।
अहंकार में फँस जाओगे ।
बुरा नतीजा कर पाओगे ।
मानव -जीवन बिगडाओगे । जो प्रभु से तोला ।।१।।
जात एक मानव की होती ।
जो जाने सो पावे मोती ।
छल से बुझे कीर्ति की ज्योती । जो है अनमोला ।।२।।
सही धर्म है सच्चा रहना !
पर-उपकार हमेशा करना ।
कहता तुकड्या प्रभू सुमरना । अनुभवि ही डोला।।३।।