हे प्रिय बच्चो ! गांधीजी ने तुम्हे

        (तर्ज : दीनदयाधन करुणा सागर...)
हे प्रिय बच्चो ! गाधीजी ने तुम्हें तभी बतलाया ।
बदलो शिक्षण की माया ।।टेक।।
कागज लिख-लिख पढते सारे,काम जरा नहि करते ।
नाजुक बनकर क्या सुख पावे? झूठ  बढाते   छाया ।।
बदलो शिक्षण की माया ।।१।।
जो उठता सो नौकरी माँगे, सब साहब - बननेकी ।
मालसियोंसे क्या सुधरेगी,इस भारत की काया ?।।
बदलो शिक्षण की माया ।।२।।
खेती -किसानी, करघा-चरखा, गौएँ मस्त बनेंगी ।
तब तो लाज बचेगी अपनी, सबको था बतलाया ।।
बदलो शिक्षण की माया ।।३।।
जाति-पाँति ही  पूछ-पूछकर नीच - ऊँचता  मानी ।
देश गया मिट्टी में इससे, तुकड्यादास सुनाया ।।
बदलो शिक्षण की माया ।।४।।