हम सेवक थे हर्षित कई रोजके सारे
स्वागत गीत
(तर्ज : या भारतात बंधुभाव. . . )
हम सेवक थे हर्षित कई रोजके सारे ।
स्वागत को तुम्हारे ।
बस दर्श हुए आज लगी नाव किनारे ।
खुले भाग हमारे ।।टेक।।
अब सेवकोंकी छाती खुलेगी औ फुलेगी ।
पीछे गयी मुसीबतों की याद भुलेगी ।
नवचेतना मिलेगी यह उपदेश -सहारे ।
होवेंगे उजारे ।।१।।
पाये हए स्वराज का, सुराज्य करेंगे ।
अपनी नसोंमें आज का, सन्देश भरेंगे।
तैयार रखेंगे सदा बलिदान हमारे ।
हो हुक्म तुम्हारे ।।२।।
यह माला नहीं सूतकी, है सूत्र बंधाये ।
देते है तुम्हे अर्पित कर, हाथ उठाये ।
नौजवान जयगुरु जयहिंद पुकारे ।
सन्देश को सारे ।।३।।