सुध भूल गयी है अँखियाँ

(तर्ज: मोहे भूल गये साँवरिया.. )
सुध भूल गयी है अँखियाँ ।।टेक।।
जब देखा मोहन   कुंजनमें ।
मीठी बन्सि सुनी कानन में ।।
छायी नशा,मन मस्त भयो अब,श्यामसे लागी नजरिया ।।१। ।
जहाँ देखूं   वहाँ   श्यामसलोना ।
श्यामके बिन भाता नहिं जीना ।।
प्यारे कन्हैया ! प्यारे कन्हैया ! तूही   है   जान   बचैया ।।२।।
चन्द्रवदन मुसकान   रसीली ।
चमक रही तन चादर नीली ।।
शान्ति है तेरे ध्यान में मोहन ! तुकड्याको पाये साँवरिया ।।३।।