दिलमें खुशी समा नहीं पावे ।

(तर्ज : देवा !तुझी आठवण होते...)

दिलमें खुशी समा नहीं पावे ।
पल पल उछले जिया हियाभर,गूँज-गूँजकरं गावे ।। टेक ।।
जब देखा गुरुदेव नजर भर । आसनमें निज प्रकाश सुन्दर ।
झिलमिल ज्योत जगावे ।।१।।
शान्त प्रशांत हवा गम्भिर है । अनहदसम मीठासा स्वर है ।
जैसे बन्सि बजावे ।।२।।
नस-नसमें हो गयी नशा यह। तुकड्यादास कहूँ केसे वह?
वहि गावे जो पावे ।।३।।