अपनी अँखियोमें तुझको छिपाया मैने

          (तर्ज: गड़्या भावानं, भक्तीनं.. )
अपनी अँखियोंमे तुझको छिपाया मैने ।।टेक।।
पहले  देखा  मन्दर ।
फिर पहुँचा  अन्दर ।
ध्यान धरके सुन्दर ।
प्रेमकी   तारी   से   खींच   लाया    मैने ।।३।।
पहले दे दी पूजा ।
नाम लेके  भजा ।
फिर ना  देखा दूजा ।
हर जगह में   ही    जाहीर   गाया   मैने ।।२।।
अब तो तू ही भरा ।
मेंने     देखा    पूरा ।
इसमें शक ना जरा ।
कहता तुकड्या यह आनन्द समाया मेंने।।३।।