साधो ! पलभर राम सुमिरना

        (तर्ज: अखियाँ प्रभू दर्शन की भूखी...)
         साधो ! पलभर राम सुमिरना ।।टेक ।।
काम करो, अभिमान हरो, फिर नहीं कालसे डरना ।।१।।
यह संसार - सराय तमासा, आज  रहे कल मरना ।।२।।
जो आये वह गये उसीमें, कही जनम कहि मरना ।।३।। 
कौन किसीके जोरु - लडके ? अंत  अकेले  जरना ।।४।।
तुकड्यादास कहे सुध लेलो, भजते यह भव तरना ।।५।।