ऐसा उदास क्यों है ?

              (तर्ज: ऊँचा मकान तेरा... )
ऐसा उदास क्यों है ? तज दे यह ध्यान तेरा ।
कर नेक काम जगमें, तजकर  गुमान  तेरा ।।टेक।।
तू क्या समझ रहा है- मेरे उपर है  दुनिया ? ।
वह ख्याल रखना किसके, ताबे में प्राण तेरा ।।१।।
मेरा समझ -समझकर, अबतक के भूल खायी ।
कबतक जियेगा जगमें, यह आयुमान तेरा? ।।२।।
कितने गये है  जगसे, उमराव  भूप  बन्दे ।
कहाँतक टिका सकेगा, नामोनिशान  तेरा ? ।।३।।
वहही अमर है जगमें, जिसने कमाई कीरत ।
मरने के  बादभी  तू, रख   छोड   नाम   तेरा ।।४।।
पल-पल गमा नही तू, झूठोंका साथ करके ।
तुकड्या कहे सुधर ले, इन्सान ! जान   तेरा ।।५।।