लागी-लागी रे समाधी लागी

            (तर्ज: बोलो -बोलों रे प्रभुजी..)
          लागी-लागी रे समाधी लागी ।।टेक।।
नैन  न   देख  रहे  नैननको, बाहर - वृत्ति  त्यागी ।।१।।
कान न सुनत कानका गाना,भये भीतर अनुरागी।।२।।
रसना चाखत नहीं रसननको, अन्तरवृत्ति जागी ।।३।।
तनमन नहिं ठहरे जागृतिमें ,मस्त भये निजसंगी ।।४।।
तुकड्यादास कहे गुरुबोधा,मैं - तू उसिसे  भागी ।।५।।