आशिक होना क्या मुश्किल है ?

           (तर्ज: रागे कशाला भरलिस राधे...)
आशिक होना क्या मुश्किल है ? जरा यह दिलसे लडो ।।टेक।।
रोज करो अभ्यास द्मन का । अब छोड़ो बहकाना मनका ।
वही   किताबे  पढो, किताबें  पढो, किताबें  पढो ।।१।।
त्याग करो विषयनंका दिलसे,दूर रहो हरदम बुझदिल से ।
अपनी राहपर अडो, राहपर अडो,राहपर अडो ।।२।।
हरदम मस्त रहो,हरि गाओ । लाज-शरमको दूर भगाओ ।
उसी  रंग  में   चढो, रंग   में   चढो, रंग  में  चढो ।।३।।
मरना-जीना‌ खेल समझलो । तुकड्यादास कहे मत भूलो । 
चलो     जवानो !  बढो  जवानों ! बढो  जवानों ! ।।४।।