हरिके मिलन कैसे होय ?

          (तर्ज: घर आये लछपन राम... )
हरिके मिलन कैसे होय ? गलि तो सारी बंद भयी ।।टेक।।
यह दिखता है भारि तलैया, जात -पाँतका मचत कल्हैया ।
सब सम भाव नहीं । गलि तो 0 ।।१।।
एक तरफ यह व्याघ्र पुकारे, धर्म - धर्म का भेद उफारे ।
मानव - धर्म   नहीं । गलि   तो0।।२।।
एक तरफ जल आग रही है, जनता निरउद्योगी भयी है ।
देश$भिमान नहीं ।। गलि  तो0 ।।३।।
एक तरफ बडे साँप बिछाये, गरिब - अमिर में द्वेष मचाये ।
बांधव - प्रेम   नही ।। गलि तो0 ।।४।।
ऊपर काला बादल छाया,व्यक्तिभाव सबके मन भाया।
मिलके आवाज नहीं।। गलि तो 0।।५।।
तुकड्यादास कहे इनहीसे, ईश्वर-मिलन होय कब कैसे ?
दिल  विश्वास  नहीं ।। गलि तो 0।।६।।