दीनके सहारे राम !
(तर्ज: घटा घनघोर घोर... )
दीनके सहारे राम ! हीनके उध्दारे राम ! रुपको दिखाये जा ।
आजा, भारत में आजारे ! ।।टेक।।
भूखनको रोटी देवनको, बल देवन दुर्बल को ।
अबलाओं के तन-रक्षणको, झूठन के नाशन को ।
देर ना लगाये जा, विघ्नको हटाये जा, रुपकों दिखाये जा ।
आजा, भारत में आजारे ! ।।१।।
वस्त्र नहीं तनपे है, घुमते कड़ किसान बनमें है ।
ध्यान नहीं है मनमें किसके, सबही मतलब में है ।
भूलको निभाये जा, भक्तको रंगाये जा, रुपको दिखाये जा ।
आजा, भारत में आजारे ! ।।२।।
मोहन ! सुन्दर रुप तुम्हारा दिलको लगे पियारा ।
तुकड्यादास कहे जो ध्यावे होवे नेन उजारा ।
ब्रीद को बचाये जा, प्रीतको सजाये जा, रुपको दिखाये जा ।
आजा, भारत में आजारे ! ।।३।।