हिंद के भगवान कहाँ
(तर्ज: आशिक है तेरे नूरपर. .. )
हिंद के भगवान कहाँ, बन्सि बजाते होंगे ?
अपनी गीताको सुना,अब किसको मनाते होंगे ?।टेक।।
प्यारे थे भारत के वह, थे दर्दि गरिबों के सदा !
आज भी भारत के लिये, किसको बनाते होंगे ? ।।१।।
हम नहीं लायक है कोई तत्व सुना दे हमसे ।
और कहींपे तोभी, वह ज्ञान सुनाते होंगे ।।२।।
खबर तो होगी उन्हे, हम फाक बने बैठे है ।
कसके सवारी वह, गरुड वेगसे लाते होंगे ।।३।।
दिख रहा होगाहि उन्हे, यह तमाशा भारत का ।
चीढ चीढ दिलसे भरे, शंख बजाते होंगे ।।४।।
हम तो सुनाते है उन्हें,सबका भला करदो प्रभु ! ।
क्या जाने वह किसके उपर,आँख झुकाते होंगे ? ।।५।।
सूख दे दुनियाको, बुझा अग्नि - सुनायेंगे उन्हे ।
पर कौन जाने वह किसको,न्याय सिखाते होंगे ? ।।६।।
यह पुकार सुनके मेरी, हिचकि लगी क्यों न उन्हें? ।
रचे लगी भी हो तो वह, किसको जताते होंगे ? ।।७।।
पेश है तुकड्याकि मिसल,जो खुशी हो करदो सही ।
खबर यह सुनते हिं मेरी, तडफडातेही होंगे ! ।।८।।