हमारे आते होंगे घनश्याम
(तर्ज: घरधनी गेला दर्यापार. ... )
हमारे आते होंगे घनश्याम । देनेको आराम ।।टेक ।।
जो दुनियाको चला रहे हैं, पल-पल कलियाँ खिला रहे है ।
हिला रहे सब काम ।। हमारे 0।।१।।
काली-काली रैन दुलारी,मार रही बिजली किलकारी ।
छूठी आँधि बेफाम ।।हमारे 0।।२।।
लाल भयी बादल की झाँकी, चन्द्र-चकोरकी छटा अनोखी ।
हवा कहे पैगाम ।। हमारे 0।।३।।
किसी दुर्जन का वध करने को,भक्तनकों करमें धरने को ।
मोर-मुक़ट सुखधाम।। हमारे 0 ।।४।।
छोड दिये वैकुंठ कभीके, लगभग गरुड पधारे बकि ।
फतह करनेको काम ।। हमारे 0।।५।।
बाहवारे कुजन के बासी,तुकड्यादास कहे अविनाशी।
सुनी बन्सीकी तान।। हमारे 0।।६।।