रुठे है हम मनमोहनसे

       (तर्ज : रागे कशाला भरलिस राधे... )
रुठे है हम मनमोहनसे, जरा न बोले उसे ।।टेक।।
घर-घर में पूजा करते हम । मंदर में सरको धरते हम ।
जरा   न   मिलते   किसे, मिलते   किसे, मिलते 0।।१।।
एक द्रौपदी थी चिल्लायी । दौर-दौर साडियाँ पुरायी ।
अभी कहाँपर फँसे? कहाँपर फँसे,कहाँपर फैँसे0।।२।।
भारत यह दुखिया है सारा । असुरोंने सर चढकर मारा कहो सुनाये किसे? सुनाये किसे, सुनाये किसे 0 ।।३।।
हम तो थे तुमही को सौपे, किसकी दाद चले नही यहँपे किसे कहे अब मुंहसे ? कहे अब मुंहसे,कहे अब मुंहसे0 ।।४।।
वाहवारे ऐ नंद दुलारे ! अजब गजब के न्याय तुम्हारे ।
हमें ही फिर तुम हँसे , फिर तुम हँसे, फिर तुम हँसे 0 ।।५।।
कहे तुकड्या अब क्या करना है? झुरझुरके तुमसे मरना है ।
सुनो अरज फेरसे, अरज फेरसे, अरज फेरसे 0 ।।६।।