किसबिध गाऊँ तुम्हें बन्सी बजानेवाले ?
(तर्ज: हर-हर-बोलना...)
किसबिध गाऊँ तुम्हें बन्सि बजानेवाले ?
श्यामसलोने ! ऐ मतवाले ! ।।टेक।।
मुझमें ग्यान नही, ध्यान नही, ना भक्ति ।
कुछ अधिकार नहीं, पाऊँ तुमसे मुक्ति ।।
भोला भाव मेरा, चरणोंसे लगवा ले ।
श्यामसलोने ! ऐ मतवाले ! ।।१।।
तुम्हरी महिमा का बेद पार नहि पावे ।
साधू - संत- मुनि तुम्हरा ध्यान लगाने ।।
तुम हो गोपिन के प्यारे ! प्राण वशीले ।
श्यामसलोने! ऐ मतबवाले ! ।।२।।
सिरपर मुयरनकी छबी बतावे झाँकी ।
कानन कुंडलकी सुंदरता है बाँकी ।।
हर पल घट तेरे, दिखते रँग निरालें ।
श्यामसलोने ! ऐ मतवालें ! ।।३।।
मीरा नाम तेरा जपत समाधी लागी ।
जिसने जपा तुझे, वृत्ति उसकी जागी ।।
तुकड्यादास कहे, मेरे हृदय समा ले ।
श्यामसलोने ! ऐ मतबालें ! ।।४।।