कपडे रंगाये, मन ना रंगा है
(तर्ज : चाहंगा मैं तुझे सांझ सबेरे. .. )
कपडे रंगाये, मन ना रंगा है, दाढ़ी बढी -पर दिल ना बढा है ।
इतनेसे क्या बनेगा, इतनेसे क्या बनेगा? ।।टेक।।
प्रभू-प्रेम होगा, नित नेम होगा,चारित्र्य अच्छा अरू ग्यान होगा ।
मीठी बात, होगी साथ, तब तो बने ।
इतनेसे क्या बनेगा, इतनेसे कया बनेगा ? ।।१।।
सेवा बडी हो,दीनों दलितकी,सबकी चहा- हो,बातें हो सत् की ।
अभिमान, गया भान, तब तो बने ।
इतनेसे क्या बनेगा, इतनेसे कया बनेगा? ।।२।।
करता हो ज्यादा, बातें बडी कम, खाना जरासा, होना परीश्रम ।
आवे काल, बने ढाल, तब तो बने ।
इतनेसे क्या बनेगा, इतनेसे कया बनेगा? ।।३।।
तुकड्या पुकारे,सन्तोंको सारे,आया समय हैं,दिलको निहारे ।
मिले मान, तारो जान, तब तो बने ।
इतनेसे क्या बनेगा, इतनेसे क्या बनेगा? ।।४।।