आजा आजा मेरे दिलके जिगर
(तर्ज: बहिनीनं माझ्या भावाचं दिवाठ. .)
आजा आजा मेरे दिलके जिगर, बोल तो जरा ।
तेरी छिपी हुई प्यारी वाणी, खोल तो जरा ।।टेक।।
तेरी नजरमें कौन छिपा है ?
बोल तो हमने कितना जपा है ?
फिर किस कारण प्यारे ! खफा है ?
अर्मान मेरा करदे पुरा ।।१।।
तेरी मेहर जबतक न खुलेगी ।
किस्मत जीवनमें न फुलेगी ।
भक्ति हमारी हाथ लगेगी ।
जल्दी हटा भेदका यह छुरा ।।२।।
अब न रहा जाता मेरे प्यारे !
बिन प्रभु दर्शन तन-मन हारे ।
तुकड्या के बस प्राण थरारे ।
नजरोंसे अमृत दे भरा ।।३।।