जगत - जननि जानकिको यह प्रणाम है
(तर्ज : मंगलमय नाम तुझे...)
जगत् - जननि जानकिको यह प्रणाम है ।।टेक।।
आदि शक्ति महामाया, तुमहीने जग बनाया ।
सिय का रूप धरि - धरिके, किन्हों काम है ।।१।।
तप में तू तपस्विनी, जप में जय जापिनी ! ।
श्रीराम काम व्यापिनीं, जाहीर आम है ।।२।।
तुम्हरि शक्ति राम बने, सीयाराम नाम बने ।
पूरन अवतार तुम्हें, लो प्रणाम है ।।३।।
मंगलमति मांगल्ये, जीवन - सुख साफल्ये ।
तुकड्याके तव चरण, कोटी प्रणाम है ।।४।।