राघव मुख जपत नाम
(राग : सारंग; ताल: एकताल... )
राघव मुख जपत नाम । होत सफल सकल काम ।।टेक।।
यह सब है सरल बात । पर सुख नहिं मिलत हाथ ।
कारण कहूँ कहें न जात । बिनु निश्चय सब हराम ! ।।३।।
पागल सम बकबक है । जाने बिन क्या सुख है ।
संयम नहिं विन्मुख है । नहिं पावत परमधाम ! ।।२।।
दवा - दुवा मिलाय होत । तबहूँ सब रोग जात ।
तुकड्या कहे, उसहि तह्रे । संयमसे ही अराम ! ।।३।।