ले लो मेरी खबर मुरारी !
(तर्ज : जो तो सांगे ज्याला त्याला.. )
ले लो मेरी खबर मुरारी !
मैं आया हूँ शरण तुम्हारी ! ।।टेक।।
तुम जानत हो अंतरयामी ।
मोरे मन भारी खल कामी ।।
मतलबको सीर नीचा करता ।
फिर करता सबसे बलजोरी ! ।।१।।
लकडा हो तो आग लगाऊँ ।
पानी हो तो दाँड बहाऊँ ।।
पत्थर हो तो फोड फुडाऊँ ।
मगर न इससे चले हमारी ! ।।२।।
इसकी चाल रही बन्दर की ।
कभी इधरकी, कभी उधरकी ।।
कभी तो सरकी, कभी पैरकी ।
तुकड्या कहे, रख लाज हमारी ! ।।३।।