ऐसा ग्यान भरो दुनियाँ में

           (तर्ज : आवो सुन्दर देश बनायें. . . )
ऐसा ग्यान भरो दुनियाँ में, अपना नेक काम करना है ।।टेक।।
इसमे ही भक्ति भरना है, इसमें देश की सेवा ।
परनिन्दा, पर द्रव्य हरे नहीं, तबही उद्धरना है ।। अपना नेक 0।।१।।
नीच-ऊँच किसको नहीं माने,सब परिवार हमारा ।
हो भंगी, ब्राह्मण या क्षत्री,मान बराबर का है ।।अपना नेक 0।।२।।
जो आलस करता और रहता दिनभर पडा निकामा ।
उसको नहिं मिल पाये खाना, यही नारा भरना है ।। अपना नेक 0।।३।।
नेकीसे रहता और करता अपनी खेति-किसानी ।
तुकडयादास कहे,वही सुधरा,उसीको भव तरना है ।।अपना नेक0।।४।।