किस - किसको सम्हलोगे अब तुम ?
(तर्ज- दिल में ही नहीं जब शांति मिली...)
किस-किसको सम्हलोगे अब तुम ? जब प्रभु बदले सबही बदले !
जब नेक कदम पिछेहि गया ! तब कौन रहेंगे लोग भले ? ? ।।टेक।।
चारोंहिं तरफ इन बादलने,अपनी धुमधाम मचादी है ।
कई गाँव गये, कई लोग गये, मालूम नहीं वो क्या क्या लें ? ।।१।।
इन्सान तो अब हैवान बना, घर-घरमें ही घुंसखोरि करे ।
ना डर है किसीका भी किसको, ना जाने कौन इसे कस लें ! ।।२।।
कही आग लगी पर्वत भि गिरे, झगडे तो कदम-कदम में खडे ।
कोई किसकी सुने नहिं बात यहाँ, सब चाहते दूसरोंकी हद लें ! ।।३।।
मेरि बात सुनोंगे ! जब शायद, कुछ दूर हटे यह दुःख भरा ।
तुकड्या कहे, सबसे प्रेम करो, तब तो दूनिया कहीं ठीक चले ।।४।।