जब किसानोंकी, देखूँ भलाई

         (तर्ज: देवाने घात कसा केला... )
जब किसानोंकी, देखूँ भलाई । हो, मैने खुशियाँ मनाई ।।टेक।।
क्योंकि दुनियाका पोशिंदा वो है ।
उसमें झूठी जरा - सी  ना   बू  है ।।
साफदिलका  वह   प्यारा  रबूं  है । 
उसके श्रमसे पली बादशाही।। हो, मेंने खुशियाँ 0।।१।।
उसका घर है खजाना  जीवनका ।
उसका दिल है हिमालय वतनका ।।
भोलाशंकर वो हैं अपने   मनका ।
देता सारा  जमाना  गवाही ।। हो, मैने  खुशियाँ 0।।२।।
उसका चूके कभी ना निशाना ।
करता पैदा वो मिट्टीमें दाना ।।
उसने सीखा ना करना बहाना ।
सारी दुनियाको कहता वो भाई।। हो,मैने खुशियाँ 0।।३।।
इसकी राजी से दुनिया फुलेगी । 
सारी नसमस की दौलत खुलेगी ।।
कहता तुकड्या यह हकुमत झुलेगी |
उसको दिलसे है मेरी दुहाई ।। हो,मैने खुशियाँ 0।।४।।