किसका मुख देखा बडी सुबह? मिला न खाना आज । गया दिन भूखभरा
किसका मुख देखा बडी सुबह? मिला न खाना आज ।
गया दिन भूखभरा ।। टेक ।।
एक मिला था धुंद शराबी, सुधरा सा लगता था।
बकता था गाली, नाली से, मरा हुआ जीता था।
मुख में थी मख्खियाँ,उछलाती ,बदबू भी थी चलती।
गया दिन भूखभरा 0 ।। १।।
एक मिला था गुण्ड खूनेरा, क्रूर था उसका चेहरा।
जरा हटे नहीं मारग में से, घबडाया जी मेरा।
छाती धडक उठी, हुआ तुफान,लगा बचा भगवान !
गया दिन भूखभरा 0 ।।२ ॥
एक मिला उल्लू का पह्ठा, परस्त्री ले घुमता था।
बडा जुआरी, चोर, घमण्डी, धन से ही झुमता था।
छूरी हाथ में थी, आँख चढी, पास न छोडे कौडी।
गया दिन भूखभरा 0 ।।३।।
एक मिला साधु के भेष में, जनता को लुटता था।
तुकड्यादास कहे फिर-फिरसे फिचर अंक रटता था।
खाली घर में वह, घुस जाये, माता को बहकाये।
गया दिन भूखभरा 0 ।। ४ ।।