क्यों बैराग लीया हैं ? घरको त्याग दिया है, क्यों ? बोल साधू ! बोल, सेवा करता कि नहीं ?

क्यों बैराग लीया हैं ? घरको त्याग दिया है,
क्यों ? बोल साधू ! बोल, सेवा करता कि नहीं ?।।टेक।।
कितने हिन्दु लोग पडे है,धरम-करम मालुम हि नहीं ।
गीता-रामायण ही पढते, ग्रामगीता देखी न कहीं ।।
पान-बिडी को पीना, 
सीनेमा में जाना । क्यों ? बोल साधू 0॥१॥
घुसखोरी -और चोरी-जारी, गुण्डागर्दी करते हैं।
माँस-मदीरा खातेपीते, रोगी. होकर मरते है ।।
कौन उन्हें समझाये ? 
उनके घर घर जाये। क्यों ? बोल साधू 0 ।।२ ।।
जो तुझसे नहिं बनता तो,साधन कर एकान्त में जा।
ईश्वर से बल माँग, तपस्या करके भी फिरसे आ जा।।
तूही गांजा पीये,
लोग कहां सुधराये। क्यों ? बोल साधू 0 ।।३ ॥
रंग लिये हैं कपडे तूने, उनकी लाज तो रखना है।
गंगा के सम बहते रहना, अच्छे-बुरे परखना है।।
कोई धर्म न छोड़े
ईमान से मुंह मोडे क्यों? बोल साधू 0 ।।४ ।।
साधू तो उपकार करेगा, यही भागवत बोला है।
तुकड्यादास ने यहि है समझा,करके बढा अकेला है
जागो, देर न करना,
आपसभे ही झगडना। क्यों ? बोल साधू 0।।५ ॥