सुमरन बिन अंतकाल कौन साथ दे ? संत ही उदार होत कहत बात दे

( तर्ज : मंगलमय नाम तुझे... )

सुमरन बिन अंतकाल कौन साथ दे ?
संत ही उदार होत  कहत    बात दे     ।।टेक।।
संसारी लूट लेत धन जहाँ रहा न ॒ देत।
तन भी तो जलाय अग्नि, हाथ खाक दे ।।१।।
पुत्र-पोत्र, नारि, जाति; कोई तो नहिं संगाती।
रोज दिखे फिर  न  लने एक   रात दे    ।।२॥
जो कुछ भी समय मिला, चीज करो सुमरनसे।
झूठ - कपट छोड, राम-नाम हाक दे    ॥ ३॥
जिन-जिन प्रभु नाम लिया, बेडा उन पार किया।
तुकड्या कहे, संत-देव योंहि साख दे  ।।४॥