साधो ! नाम जपे क्या होता ?
(तर्ज : पलभर नाम सुमरना साधो....)
साधो ! नाम जपे क्या होता ? ।।टेक ॥
जबतक करनी करे न कोई, लाभ उसे नहीं पाता ।
नेक रहो, उद्योग करो, तब घर बैठे प्रभु आता ।। साधो ! ॥१।।
राम-नाम जिन कहे उन्हींका, चित्त चरित्र सुनाता।
हनुमान तो लंका जाकर, राक्षस मार गिराता ।। साधो! ।।२॥
नाम जपा प्रल्हाद पिता का अन्त कराने जाता।
कृष्ण नाम अर्जूनने बोला, भरे युद्ध जस पाता ।। साधो! ।।३॥
खाली नाम कार्य नहीं होवे, कार्य धरे तब होता ।
कूद पडो जन-सेवा करने, तब कहीं राम सुहाता।। साधो ! ।।४।।
राम-नाम जप किया गाँधी ने, स्वराज्य घर पर आता ।
तुकड्या कहे भोजन के जपसे, तृप्ति नहीं कोई पाता।। साधो ! ।।५।।