ठीकसे शासन चलाना, मदारिका नहिं खेल है
तर्ज : हिंदभूच्या लेकरा... )
ठीकसे शासन चलाना, मदारिका नहिं खेल है ! ।
वहि चला सकते है बन्दे, जो जमाले मेल है ।।टेक।।
मोह ना अपना - पराया, नीति-रीती छोडके ।
संयमी जीवन है जिसका, जैसी बाँती-तेल है ।।१।।
शक्ति हो और युक्ति हो,दिलमें प्रभूकी भक्ति हो।
मुक्तिकी पर्वा नहीं है, कर्म का ही बेल है ।।२॥।
सत्यपर निष्ठा सदा, जनता हितेषी भावना।
मर मिटे पर हक्क ना दे,अपने नीयत काल है।।३।।
देशकी जनता प्रभू है, सोचकर करता खबर ।
कहत तुकड्या वहि रहेगा,जग समझता जेल है।।४।।