तनमें खोज करो कोई, दिवाना हो मत रे भाई

भजन २८
(तर्ज : जमका अजब तडाका बे...)

भज तू हरिको ऐसा बे, दिवाना हो उनमें राबे 
।।टेक।।

छह का सरण रचो दिल अंदर, पाँच करो ताबे।
इक्कीसों पर जाय बसो, जब देख खुशी वहाँ बे ।।१।।

सप्तकुंड पानीके गहरे, तीनों नदियाँ बे।
संग त्रिवेणी हुई ठिकाने, दुजपन धोया बे 
।।२।।

कहता तुकड्या दास गुरु का, बिरला खुण पावे।
अजब तऱ्हा के रंग, दंग मन, न थाक जमका बे ।।३।।