साधो ! सुनले कहना बे, सममें सहजी रहना बे।।टेक।।
भजन ३४
(तर्ज : जमका अजब तडाका बे... )
साधो ! सुनले कहना बे, सममें सहजी रहना बे।।टेक।।
भोग कर्मका चुका न किसिको, करके सहना बे।
अच्छे - बुरे दो छोड़ो फिर, झूठा गहना बे ।।१।।
क्या खेती और क्या माड़ी है, रेशम पहना बे |
आप रूपको धरले भाई, झूठी बहिना बे ।।२।।
अव्वल की कछु ला मत शिरमें, छोड़ो चहना बे।
होनेवाली क्या करना है, रमके रहना बे ।।३।।
कहता तुकड्या धीर धारकर, भवमें तरना बे ।
सतसंगत कर प्यारे भाई, रामसुमिरना बे ।।४।।