जय मंगल गुरुदेव हमारे । तुम्हरे दर्शन में सुख सारे !

तर्ज .. भाग्य कुणाला लाभे ऐसे...)
 
जय मंगल गुरुदेव हमारे ।
तुम्हरे दर्शन में सुख सारे !   ।।टेक।।
तुम्हरा नाम अमंगल हारी
शुध्द चरित्र-मानस उपकारी ।।
भक्ति-मुक्ति के तुम हो दाता ।
निर्मल प्रेम सुभाव तुम्हारे ।।१॥
भुला-भटका विषयी आवे ।
तुम्हरी सत्‌-संगत गर पावे ।।
अग्यानों का तिमिर नाशकर ।
होत प्रकाश हृदय संचारे ! ।।२॥
ब्रह्मा -विष्णु -महेश ये तीनो ।
ये सब तुमरे सूटप बखाने ।।
तुमही हो सत्‌-चित्‌ आनन्दा ।
सगूण -निर्गुण के मिलवारे ! ।।३॥
तुम्हरी किरपा पावे जिनको ।
तीन लोक धोखा नहिं उनको ।
तुकड्यादास गुरु-किरपासे  ।।
हमरे ती सबही जग प्यारे ! ।।४॥