जबकि नेकीसे जीता है । तब तू शराब क्यों पीता है

(तर्ज : तेरे दया-धरम नहीं मन यें....)
जबकि नेकीसे जीता है ।
तब तू शराब क्यों पीता है ? ।।टेक ।।
तुझे पता है, आजतलक ये, शराब किसने खायी ?
माँसाहारी औ व्यभिचारी, उनकी यह बाता हैं ।।
तब तू शराब क्यों पीता हैं? 0।।१।।
तीनो भी है मित्र सदा ये, चौथा मित्र है चोरी ।
राक्षस के ये घरमें रहते, इनके गुरू अघोरी ।।
तब तू शराब क्यों पीता है ?0 ।।२।।
धर्मवान्‌ तू माला पहिने, चन्दन सिरपे लावे ।
छोड आजसे शराब पीना, बिगडे पथ ना जावे।।
तब तू शराब क्यों पीता हैं ?0 ।।३।।
सुबो ऊठ और स्नान बनाकर सुमरण कर सद्गुरुका।
तुकड्यादास कहे, तब पावे, जगा तुझे सुर नरका ।।
तब तू शराब क्यों पीता हे? 0 ॥४॥