तन दिया, मन दिया ! ओर जो बच गया,धन दिया !
(तर्ज : हम भी हे, तुम भी हो !...)
तन दिया, मन दिया !
ओर जो बच गया,धन दिया ! ।। टेक ।।
अब तो रहा प्रेम ही पासमें ।
क्यों करके दुःखी रहूँ आज मैं ।।
जो किया सो किया, प्रभु-भक्तिमें जीवन गया ! ।।१।।
किसको दुजा अब कहूँ खास मैं ।
सब हैं मेरे जबकि मुझमें न मैं ।।
जग गया, लग गया, मेरे प्यारे से नाता भया ! ।।२।।
अन्दर-बाहर अब तो है एकही ।
कोई पून या पाप छूपा नहीं ।।
त्याग भी,भोग भी,त्यागका त्याग भी तो किया ! ।।३॥।
सबकुछ बने वो ये प्रारब्ध है ।
क्रियमान के बीज ही नष्ट हैं ।।
साक्षी मैं, सर्वका, रंग-रुपोसे न्यारा भया ! ।।४।।
अभी मौतने भी मुझे बाग दी ।
सोयी थी किस्मत,खडी जाग दी ।।
मिल गया,धुल गया,दास तुकड्या रहा ना नया !।।५।।